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जब याद तेरी आखिर-ऐ-शब आई दीदा-ऐ-नमनाक में उफान आई

जब याद तेरी आखिर-ऐ-शब आई
दीदा-ऐ-नमनाक में उफान आई

दिल-ऐ-मुज्जतर को भी ना शकेबाई
मेरे गमखाने में मसरुद ना मरगूब आई

सुब्द-दम को सुरसार सबा ये पैगाम लाई
तेरे हिस्से में मता-ऐ-गम आई

याद-ए-रफ़्तगा बन शब-ए-खाब आई
दिल के दहलीज पे जैसे दीवारे-ए-गम आई

©Dushyant Barnwal आखिर-ऐ-शब =रात का अंतिम प्रहर
दीदा-ऐ-नमनाक - अश्रुपूर्ण नैन
दिल-ऐ-मुज्जतर =चिंतित मन
शकेबाई=धैर्य
गमखाने = गम का घर
मसरुद =आनंदित
 मरगूब=सुखद
सुब्द-दम =सुबह का समय
जब याद तेरी आखिर-ऐ-शब आई
दीदा-ऐ-नमनाक में उफान आई

दिल-ऐ-मुज्जतर को भी ना शकेबाई
मेरे गमखाने में मसरुद ना मरगूब आई

सुब्द-दम को सुरसार सबा ये पैगाम लाई
तेरे हिस्से में मता-ऐ-गम आई

याद-ए-रफ़्तगा बन शब-ए-खाब आई
दिल के दहलीज पे जैसे दीवारे-ए-गम आई

©Dushyant Barnwal आखिर-ऐ-शब =रात का अंतिम प्रहर
दीदा-ऐ-नमनाक - अश्रुपूर्ण नैन
दिल-ऐ-मुज्जतर =चिंतित मन
शकेबाई=धैर्य
गमखाने = गम का घर
मसरुद =आनंदित
 मरगूब=सुखद
सुब्द-दम =सुबह का समय

आखिर-ऐ-शब =रात का अंतिम प्रहर दीदा-ऐ-नमनाक - अश्रुपूर्ण नैन दिल-ऐ-मुज्जतर =चिंतित मन शकेबाई=धैर्य गमखाने = गम का घर मसरुद =आनंदित मरगूब=सुखद सुब्द-दम =सुबह का समय #SAD #याद #Sa #शायरी #sad_poetry