त्याग जरूरी है जीवन में, अगर शांति चाहिए मन में, फल की इच्छा रखते हो तो, पेड़ लगाओ वन-उपवन में, त्यागो तृष्णा मोह जगत का, परमानन्द है प्रभु सुमिरन में, अमृत और विष दोनों निकले, कहते सभी सिन्धु मंथन में, सुख के घर मुस्कान बैठती, दुखद राह बीते क्रंदन में, क्रोध आग की तरह जलाता, शीतलता मिलती वंदन में, आती समझ अंत में सबको, शांति-सुकून नहीं है धन में, फूलों से तितली सा रिश्ता, प्यार जताते नित 'गुंजन' में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #त्याग जरूरी है#