चुप हो जाऊं।। तुम आज कहो मैं चुप हो जाऊं, खुश आज रहो मैं चुप हो जाऊं। जो भड़काती आग पवन बन के, तुम आज बहो मैं चुप हो जाऊं। है दुख की बदली घनघोर बड़ी, मत आज सहो मैं चुप हो जाऊं। कोई यादों में रहे सिमटा मैं रहूँ, तुम आज रहो मैं चुप हो जाऊं। गढ़ता जो मैं सपने अकेला था, तुम आज गढ़ो मैं चुप हो जाऊं। यादों के जो गहने संभाल रखे, तुम आज गहो मैं चुप हो जाऊं। तरकीबें भी रहीं खोटी अब तक, तुम आज लहो मैं चुप हो जाऊं। खलता है बहुत तन्हा ये सफर, तुम साथ रहो मैं चुप हो जाऊं। ©रजनीश "स्वछंद" चुप हो जाऊं।। तुम आज कहो मैं चुप हो जाऊं, खुश आज रहो मैं चुप हो जाऊं। जो भड़काती आग पवन बन के, तुम आज बहो मैं चुप हो जाऊं।