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बंटबारे के बाद हड़प्पा और मोहनजोदड़ो पाक

            बंटबारे के बाद हड़प्पा और मोहनजोदड़ो पाकिस्तान का हिस्सा हो गए तो पड़ौसी ने दावा कर दिया कि सबसे प्राचीनतम सभ्यता की नींव उनकी धरती पर पड़ी।जब इसकी भनक भारतीय पुरातत्व विभाग को लगी तो पूर्वी पंजाब,राजस्थान और गुजरात में उत्खनन आरम्भ कर दिया।इसी के फलस्वरूप प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता 'अमलानंद घोष' ने कालीबंगा और ऐसे ही कई टीलों को खोज निकाला।खुदाई कर सिन्धु सभ्यता के समकक्ष ही नहीं वरन उससे भी पुरानी सभ्यता के प्रमाण निकाल कर पाकिस्तान का दम्भ चूर-चूर कर दिया।इस कार्य को व्रजवासी लाल और बालकृष्ण थापर ने जारी रखा।राजस्थान का यह ऐतिहासिक स्थान गंगानगर जिले के सूखी घग्घर ( प्राचीन सरस्वती )नदी के तट पर स्थित है।खुदाई में मिले अवशेषों से ज्ञात हुआ कि यहाँ की सभ्यता और संस्कृति बेहद समृद्ध एवं विकसित थी।दुर्भाग्यवश कुछ प्राकृतिक कारणों से सरस्वती नदी लुप्त हो गई और उसी के साथ एक शानदार सभ्यता का ह्रास हो गया। सरस्वती नदी के लुप्त होने का उल्लेख तो पुराणों में भी मिलता है।एक किवदंती के अनुसार श्रीराम ने जब समुद्र को सुखाने के लिए अग्निवाण खींच लिया तो समुद्र ने क्षमा याचना की लेकिन तीर कमान में बापस जाए ये किसी योद्धा के लिए अशोभनीय था इसलिए समुद्र का एक हिस्सा उससे काट डाला और जिस हिस्से में तीर लगा वहाँ समुद्र का पानी सूख कर शेष रेगिस्तान रह गया।
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डॉ.गोपीनाथ शर्मा कहते हैं कि- "सम्भवतः भूचाल से या कच्छ के रन की रेत से भर जाने से ऐसा हुआ होगा जो समुद्री हवाएँ पहले इस ओर से नमी लाती थीं और वर्षा क
            बंटबारे के बाद हड़प्पा और मोहनजोदड़ो पाकिस्तान का हिस्सा हो गए तो पड़ौसी ने दावा कर दिया कि सबसे प्राचीनतम सभ्यता की नींव उनकी धरती पर पड़ी।जब इसकी भनक भारतीय पुरातत्व विभाग को लगी तो पूर्वी पंजाब,राजस्थान और गुजरात में उत्खनन आरम्भ कर दिया।इसी के फलस्वरूप प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता 'अमलानंद घोष' ने कालीबंगा और ऐसे ही कई टीलों को खोज निकाला।खुदाई कर सिन्धु सभ्यता के समकक्ष ही नहीं वरन उससे भी पुरानी सभ्यता के प्रमाण निकाल कर पाकिस्तान का दम्भ चूर-चूर कर दिया।इस कार्य को व्रजवासी लाल और बालकृष्ण थापर ने जारी रखा।राजस्थान का यह ऐतिहासिक स्थान गंगानगर जिले के सूखी घग्घर ( प्राचीन सरस्वती )नदी के तट पर स्थित है।खुदाई में मिले अवशेषों से ज्ञात हुआ कि यहाँ की सभ्यता और संस्कृति बेहद समृद्ध एवं विकसित थी।दुर्भाग्यवश कुछ प्राकृतिक कारणों से सरस्वती नदी लुप्त हो गई और उसी के साथ एक शानदार सभ्यता का ह्रास हो गया। सरस्वती नदी के लुप्त होने का उल्लेख तो पुराणों में भी मिलता है।एक किवदंती के अनुसार श्रीराम ने जब समुद्र को सुखाने के लिए अग्निवाण खींच लिया तो समुद्र ने क्षमा याचना की लेकिन तीर कमान में बापस जाए ये किसी योद्धा के लिए अशोभनीय था इसलिए समुद्र का एक हिस्सा उससे काट डाला और जिस हिस्से में तीर लगा वहाँ समुद्र का पानी सूख कर शेष रेगिस्तान रह गया।
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डॉ.गोपीनाथ शर्मा कहते हैं कि- "सम्भवतः भूचाल से या कच्छ के रन की रेत से भर जाने से ऐसा हुआ होगा जो समुद्री हवाएँ पहले इस ओर से नमी लाती थीं और वर्षा क

सरस्वती नदी के लुप्त होने का उल्लेख तो पुराणों में भी मिलता है।एक किवदंती के अनुसार श्रीराम ने जब समुद्र को सुखाने के लिए अग्निवाण खींच लिया तो समुद्र ने क्षमा याचना की लेकिन तीर कमान में बापस जाए ये किसी योद्धा के लिए अशोभनीय था इसलिए समुद्र का एक हिस्सा उससे काट डाला और जिस हिस्से में तीर लगा वहाँ समुद्र का पानी सूख कर शेष रेगिस्तान रह गया। 😊💕🙏☕ डॉ.गोपीनाथ शर्मा कहते हैं कि- "सम्भवतः भूचाल से या कच्छ के रन की रेत से भर जाने से ऐसा हुआ होगा जो समुद्री हवाएँ पहले इस ओर से नमी लाती थीं और वर्षा क #yqdidi #yqtales #yqhindi #पाठकपुराण #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1