एसेम्बली में वो एक धमाका.. ज़ालिम अंग्रेज़ों को चेता गया सोई जनता को जगा गया... तब देश हमारा परतंत्र था अंग्रेज़ों के आतंक से त्रस्त था पर तुमने वो धमाका किया क्यों? अपने बचपन को अपनी जवानी को यूँ सस्ते में खो दिय क्यों? क्या तुम्हें भविष्य का अंदाज़ा था ये देश कितने दिन आज़ाद रहेगा क्या तुमने मन में सोचा था (?) तुम गलत थे भगत!!! तुम गलत थे... ये देश आज भी गुलाम है.. जहाँ सिर्फ़ पैसे को ही सलाम है.. यहाँ जनता गूँगी बैठी है... यहाँ नेता बहरे बैठे हैं... ताकत के गुरूर में कुर्सी पर ऐंठे बैठे हैं... सोने की चिड़िया की इस धरती पर भुखमरी का ऐसा साया है... जहाँ "ममता" नहीं निर्ममता है और "माया", "राज" छाया... 23 मार्च का वो इंकिलाबी दिन जब तुम हँसे देश रोया था.. आज तारीख भूल गया ये देश... नहीं जानता क्या खोया था... भगत तुम्हारी आज फिर महसूस होती जरूरत है... एक और एहसान कर जाओ... सोई जनता जगा जाओ.. फिर एक धमाका कर जाओ... फिर एक धमाका कर जाओ....✍✍ #NojotoQuote @#शहीद_भगत_सिंह