प्यार का पहला ख़त, आया था अरसो पहले हमें भी, जो आज भी हमने संभाल के, रखा है अपनी डायरी के पन्नों में। छूते ही इसको जैसे तन बदन में, जाग उठा था एक अनछुआ सा अहसास, पढ़ कर उसमें अपना नाम लगा के, अपना भी है कोई इस दुनिया में। यह पहली दफा था कि, किसी ने किया था ज़िक्र हमारा, लिखके चंद शब्दों में मेरा पूरा किरदार, इज़हार किया था अपने प्यार का। प्यार तो हमारा मुकम्मल ना हो सका, लेकिन वह ख़त हमारे जीने का सहारा बन गया, आज भी हम जब खोलते हैं इसे, जाग उठता है वहीं अनछुआ अहसास अंतर्मन में। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-989 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।