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घने दरख़्त सी शख्शियत जिनकी शाखों में समेटे ख्वाहिश

घने दरख़्त सी
शख्शियत जिनकी
शाखों में समेटे
ख्वाहिशें सबकी
हौसलों से मिलती
जड़ों को मजबूती
खून पसीने से सींचा
उम्र भर जिनको
फूल पत्तियों को देख
पतझड़ का गम देते भूला
आशा है यही बस
पत्तियों व फूलों की
छाया से इनकी न कभी
होना पड़े जुड़ा।

©alka mishra
  #FathersDay 
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