Nojoto: Largest Storytelling Platform

नमी ये आँखों की तेरी, हजारों राज़ कहती है, मुकरती

नमी ये आँखों की तेरी, हजारों राज़ कहती है,
मुकरती है जुबाँ तेरी, मगर हर बात कहती है।

हँसी के दरमियाँ छिपकर, तेरी आवाज़ रहती है,
लरज़ जाती है कुछ कह दूँ, ज़रा नाराज़ रहती है।

फिज़ाओं से तेरी खुशबू, हवाएं लेके बहती हैं,
ठहरकर मेरी साँसों में, मुझे सँग लेके बहती हैं।

यहाँ की शाम अब मुझको, बहुत खामोश लगती है,
जलाती चाँदनी मुझको, रात मदहोश लगती है।

मुद्दतों से नहीं गुज़रा, गली सुनसान रहती है,
जहाँ अब वो नहीं रहती, जगह वीरान रहती है।

ठहर जाता किनारों पर, जो वो मिलने को कहती है,
वो "लहरों सी मलंग" निकली, सँग चलने को कहती है।

🍁🍁🍁

©Neel
  लहरों सी मलंग 🍁
archanasingh1688

Neel

Silver Star
Growing Creator

लहरों सी मलंग 🍁 #शायरी

3,126 Views