Nojoto: Largest Storytelling Platform

रौनक थी घर घर की प्यारी सायकिल हमारी थी बड़े

  रौनक थी घर घर की प्यारी
 सायकिल हमारी थी
  बड़े शौक से इसे चलाते
  शान की सवारी थी
        सुबह से लेकर शाम तक
         हम इसको दौड़ाते थे
          आगे पीछे दो लोगों को
          हम इसपर बैठाते थे
   शिकवा गिला कभी ना करती
    हमसे यह बेचारी थी
          इसे चला करके हम सबके
          हाथ पैर बलवान बने
           पढ़ लिख करके ज्ञान बढ़ाया
            हम अच्छे इंसान बने
   पर्यावरण की रक्षा में भी
   इसकी भागीदारी थी
           इसे भूलकर हमने थामी
           जब से बाईक आई है
            धूल धूसरित हुई बेचारी
              की आंखे भर आई है
    जबतक हमने इसे चलाया
     नहीं कोई बीमारी थी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #सायकिल की सवारी

#सायकिल की सवारी #कविता

3,879 Views