खिलौने छोड़ आई हूँ बचपन भी रूआँसी है किताबें दो दिलाती मां ये पायल बेडियों सी हैं। मुझे भी शौक रहता था डिग्रियों के साथ तस्वीर हो मेरी तुम्हें सब मेरे नाम से जाने मैं अफसर बिटिया होती तेरी। मुझे ये जिन्दगी मेरी खुद में कैद लगती है ब्याह के अटूट बंधन उलझती डोर लगती है। प्रीति.!! #yqbaba#child marriage #socialissues#challange initiated by Aman Setia thanks for nomination Anshu Preet .