लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा , हर नदी मिल के यूँही गुम हो जाती है , चाहतों से लिपटा पड़ा है मन मेरा , हर रात जगकर कुछ सपने देखता हूँ , तुमने कभी देखा है वो रातों का मंज़र मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । आँसुओ को मैं ज्यादा तरजीह नहीं देता , कुछ बूँद ख़्वाहिशों की निकल जाती है , ये राहें काँटो से भरी कुछ गालियाँ हैं , तभी मेरे पैरों से बहता है लहू मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । यूँ ही खुद से लड़कर बना हूँ मैं काफ़िर , फिर भी ज़िंदगी की समझ रखता हूँ , हर रोज़ जहाँ सुकूँ के लिए आता हूँ , वो भी किराये पे ही है घर मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । राहें तो पहले से अंजान थी मेरी , अब तो मंज़िल भी बेखबर लगती है , तुम्हारे साये में पनाह चाही थी , देखो क्या कर दिया तुमने हशर मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । #NojotoQuote काफ़िर #Astitva#Nozoto