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कभी कभी महसूस होती है ख़लिश मेरे दिल को तेरी उसे पे

कभी कभी महसूस होती है ख़लिश मेरे दिल को तेरी
उसे पेचीदा मसलों में फंसाकर अक्सर बहला देता हूँ

जब भी दर्द हद पार करता है बस यूं ही मुस्कुरा देता हूँ
जख्म खुलने लगे कुरेदने से कभी उन्हें भी सहला देता हूँ

जब भी आंखे भर आती है किसी रस्ते से गुज़रते हुए
तो उसे भी किताबों से कोई वरक देंकर उलझा देता हूँ

आज़ाद कर दिया था हर ख़्याल से हर वादें से तेरे खुद को
तब से जिंदगी हर उलझे हुए सवालात को सुलझा लेता हूँ

#mps
कभी कभी महसूस होती है ख़लिश मेरे दिल को तेरी
उसे पेचीदा मसलों में फंसाकर अक्सर बहला देता हूँ

जब भी दर्द हद पार करता है बस यूं ही मुस्कुरा देता हूँ
जख्म खुलने लगे कुरेदने से कभी उन्हें भी सहला देता हूँ

जब भी आंखे भर आती है किसी रस्ते से गुज़रते हुए
तो उसे भी किताबों से कोई वरक देंकर उलझा देता हूँ

आज़ाद कर दिया था हर ख़्याल से हर वादें से तेरे खुद को
तब से जिंदगी हर उलझे हुए सवालात को सुलझा लेता हूँ

#mps