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तवायफें बेशक़ हमारी महफ़िल गुलज़ार करती हैं ये पे

तवायफें बेशक़ हमारी महफ़िल गुलज़ार करती हैं

ये पेट भरने की ख़ातिर मुज़रा भी बारम्बार करती हैं

यूँ तो बेसक जिस्म बेचती हैं ये सरे बाज़ार अपना

पर ये मजदूरी नहीं बल्कि मज़बूरी में ऐसे काम करती हैं 

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी

©Raone prostitute
तवायफें बेशक़ हमारी महफ़िल गुलज़ार करती हैं

ये पेट भरने की ख़ातिर मुज़रा भी बारम्बार करती हैं

यूँ तो बेसक जिस्म बेचती हैं ये सरे बाज़ार अपना

पर ये मजदूरी नहीं बल्कि मज़बूरी में ऐसे काम करती हैं 

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी

©Raone prostitute
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Raone

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