रचना दिनांक,,26,,11,,2024,,, वार मंगलवार समय,, सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ्् ्््छाया चित्र बहुत सुंदर है जो बिल्कुल भी रंग बिरंगी सिनहरियो से सजाया गया कला मंच पर जिंदगी के ख्यालों में खोया हुआ जमीर बड़ी बात है जिन्दगी ही एक ऐसा आभुषण कहलाता है समझो बांटो नादान कभी नहीं देखा तो समझिए आपने कुछ पाया कुछ खोया हुआ बोला गया कभी अकारथ नहीं गया तो दुनिया सुनती हैं ,, आनेवाली पीढ़ी भी इन्सानी मानस को परखना ही जिंदगी है््् ्््भावचित्र ्््् एक प्रश्न प्रतिप्रश्न प्रशंसक सनातन विचार सच में बहुत ही सुन्दर और मजबूत है,, मेरा सवाल समझ में यह है परमात्मा ने अर्वाचीन प्राचीन भारतीय इतिहास पुराण कथा साहित्य कथन सच्चाई है,, जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है अगर मगर तथाकथित सभ्य सुसंस्कृत संगठनों ने अपना अभिमत आत्म धर्म कर्म सोच में पड़ गए हैं ।। कि सनातन विचार सच में कमजोर हो रहा है वो कैसे और क्यों ्््भावचित्र निज विचार है,, जब सनातन विचार सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार प्राचीन शास्त्रों का एक कल्पवृक्ष है जो बिल्कुल कपिला गाय की तरह है।। जब एक परिवार सनातन वैदिक विचारधारा है,, और सनातन विचार कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण प्रधान है ।। ऐसी स्थिति में जब वैचारिक रूप से जब परिवार में असहमति जताई गई हो जब प्रबल विरोध किया गया ईश्वर सम्बंधित अनेकानेक अध्यात्मिक दर्शन कल्याण ज्ञान दर्शन का सृजन उदय हुआ है।। जो कभी आपके सदविचार अमल करते थे आज नहीं करते है,, वो निर्राकार आकारहीन ऐकेश्वर ईश्वर में विश्वास करते हैं।। और मूर्ति पूजा बूतपूजा नहीं करते है,, कुछ वन जंगल पहाड़ धरती को अपना आराध्य देव अर्चनंमाधवं मानते हैं।। ऐसे असंख्य लोगों को हम दिलों से कहां रखेंगे,, या उन्हें कौन सा जीवन में एक जीवंत प्रयास स्थान दे रहे हैं।। आप चाहें तो कुछ लगन से कार्य कर देख रहा है ईश्वर सत्य ही जिंदगी में एक सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ एक दस्तावेज उदगम स्त्रोत बना हुआ है।। ्््निजधिचार ्् ्््भावचित्र ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद 26,,11,,2024,,, ©Shailendra Anand मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स ्््््कवि शैलेंद्र आनंद