जैसे भाप गायब होती है चश्मों से तेरे चाय की चुस्की संग। कुछ यूँ तेरी याद भी है, आती-जाती।। जैसे रंग कामिल होते है मुस्कानों से तेरी पन्नों की लकीरों संग। कुछ यूँ तेरी फिक्र भी है, आती-जाती।। आती-जाती #CalmKaziWrites #Hindi #YQDidi #Poem #याद