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जैसे भाप गायब होती है चश्मों से तेरे चाय की चुस्की

जैसे भाप गायब होती है
चश्मों से तेरे
चाय की चुस्की संग।

कुछ यूँ तेरी याद भी है,
आती-जाती।।

जैसे रंग कामिल होते है
मुस्कानों से तेरी
पन्नों की लकीरों संग।

कुछ यूँ तेरी फिक्र भी है,
आती-जाती।। आती-जाती

#CalmKaziWrites #Hindi #YQDidi #Poem #याद
जैसे भाप गायब होती है
चश्मों से तेरे
चाय की चुस्की संग।

कुछ यूँ तेरी याद भी है,
आती-जाती।।

जैसे रंग कामिल होते है
मुस्कानों से तेरी
पन्नों की लकीरों संग।

कुछ यूँ तेरी फिक्र भी है,
आती-जाती।। आती-जाती

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calmkazi6439

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