हर रोज की तरह, ये शाम फिर तेरे नाम है बस फ़र्क़ इतना है के आँशु आँख से गुमनाम है दर्द अटका है गले पे यादें ठण्डी बर्फ़ हैं पर, एक कुल्हड़ चाय से अब सब मिटाना आम है हर रोज़ की तरह, ये शाम फिर तेरे नाम है पर एक कुल्हड़ चाय से, अब सब मिटाना आम है Nishant Pandit ©Nish_Pandit शाम की चाय...☕ #chay #Love#shayari #eveningtea