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गीत :- जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज । कब

गीत :-

जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज ।
कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।।
जीवन रूपी रंग मंच को.....

किस किस के साथ चलूँ मैं , किसका छोडूँ साथ ।
कौन यहाँ अपनों सा मिलता , जिसका थामूँ हाथ ।।
समझ न पाया अब तक देखो, कैसा आज  समाज ।
जीवन रूपी रंग मंच को ....

स्वार्थ-स्वार्थ  ही भरा हृदय में , देखे ऐसे लोग ।
हम अपने है हम अपने है , कहें करें उपयोग ।।
जिसका जितना मान किया था , वही बने अब खाज़ ।
जीवन रूपी रंग मंच को ....

सोचा था मिलकर हम दोनो , नाचें गाये खूब ।
नही खबर थी कि गृहस्थी में , जायेंगे हम डूब ।।
अब खोद कुआं हम पानी ले , यही बचा है काज ।
जीवन रूपी रंगमंच को ....

जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज ।
कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।।

२८/२०/२०२३       -       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-


जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज ।

कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।।

जीवन रूपी रंग मंच को.....
गीत :-

जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज ।
कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।।
जीवन रूपी रंग मंच को.....

किस किस के साथ चलूँ मैं , किसका छोडूँ साथ ।
कौन यहाँ अपनों सा मिलता , जिसका थामूँ हाथ ।।
समझ न पाया अब तक देखो, कैसा आज  समाज ।
जीवन रूपी रंग मंच को ....

स्वार्थ-स्वार्थ  ही भरा हृदय में , देखे ऐसे लोग ।
हम अपने है हम अपने है , कहें करें उपयोग ।।
जिसका जितना मान किया था , वही बने अब खाज़ ।
जीवन रूपी रंग मंच को ....

सोचा था मिलकर हम दोनो , नाचें गाये खूब ।
नही खबर थी कि गृहस्थी में , जायेंगे हम डूब ।।
अब खोद कुआं हम पानी ले , यही बचा है काज ।
जीवन रूपी रंगमंच को ....

जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज ।
कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।।

२८/२०/२०२३       -       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-


जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज ।

कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।।

जीवन रूपी रंग मंच को.....

गीत :- जीवन रूपी रंगमंच को , देख रहा हूँ आज । कब क्या कैसा अभिनय होगा , छुपा अभी है राज ।। जीवन रूपी रंग मंच को..... #कविता