Nojoto: Largest Storytelling Platform

हर सुबह शाम जिससे लड़ता झगड़ता था , जिसे हर रोज सु

हर सुबह शाम जिससे लड़ता झगड़ता था ,
जिसे हर रोज सुला कर ही सोता था,
आज वो बूढ़ी दादी, न जाने कहा
मेरी आंखों से ओझल हो गई ।

मेरी दिल की असीम पीड़ा
अगर वो जान जाती
वो जहा भी होती,
मेरे पास आ जाती ।

मेरी नजर बस उन्हें ही ढूंढ रही है
मेरे दिल और मन में अजीब सी मंथन बढ़ रही है
उन्हे देखे बिना मेरा ये ,मन शांत न होगा
अगर न मिली वो ,शायद कल तक मेरा जान न होगा ।

©बद्रीनाथ✍️ #दादीमाँ #दादी
हर सुबह शाम जिससे लड़ता झगड़ता था ,
जिसे हर रोज सुला कर ही सोता था,
आज वो बूढ़ी दादी, न जाने कहा
मेरी आंखों से ओझल हो गई ।

मेरी दिल की असीम पीड़ा
अगर वो जान जाती
वो जहा भी होती,
मेरे पास आ जाती ।

मेरी नजर बस उन्हें ही ढूंढ रही है
मेरे दिल और मन में अजीब सी मंथन बढ़ रही है
उन्हे देखे बिना मेरा ये ,मन शांत न होगा
अगर न मिली वो ,शायद कल तक मेरा जान न होगा ।

©बद्रीनाथ✍️ #दादीमाँ #दादी