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सरहदों पे खड़ा, वो देश का फ़र्ज़ निभाने को, जिस माटी

सरहदों पे खड़ा, वो देश का फ़र्ज़ निभाने को,
जिस माटी में पला, माटी का क़र्ज़ चुकाने को,
दुश्मन कही न घुस आये, सोता नहीं रातों में,
अपनी जान लुटाता है, चैन से हमें सुलाने को...

सरहदों पे खड़ा, वो देश का फ़र्ज़ निभाने को, जिस माटी में पला, माटी का क़र्ज़ चुकाने को, दुश्मन कही न घुस आये, सोता नहीं रातों में, अपनी जान लुटाता है, चैन से हमें सुलाने को... #कविता

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