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ख़ाक में मिलकर भी, हम ख़ाक ना हुए, क्या ज़िल्लत की जि

ख़ाक में मिलकर भी,
हम ख़ाक ना हुए,
क्या ज़िल्लत की जिंदगी थी,
कि जलकर भी राख़ ना हुए,
गुनाहों से था वास्ता हमारा,
हम चाह कर भी पाक़ ना हुए,
ख़ाक में मिलकर भी,
हम ख़ाक ना हुए। #khaq
ख़ाक में मिलकर भी,
हम ख़ाक ना हुए,
क्या ज़िल्लत की जिंदगी थी,
कि जलकर भी राख़ ना हुए,
गुनाहों से था वास्ता हमारा,
हम चाह कर भी पाक़ ना हुए,
ख़ाक में मिलकर भी,
हम ख़ाक ना हुए। #khaq