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देख कर काली छाया हाल हुआ बूरा। ठंड में भी पसी

देख कर काली छाया हाल हुआ बूरा।
ठंड   में  भी   पसीने   टपकने   लगी,
अंतरात्मा  जो  सोई  थी  जगने लगी।
करीब  से  देखा  तो  जिंदा मूरत था ,
कोई और नहीं...... बल्कि
जाना पहचाना सूरत था।।
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प्रमोद मालाकार

©pramod malakar
  #कदमो कि आहट

#कदमो कि आहट #कविता

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