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अजनबी सालों की परत चढ़ गयी है, जिन लम्हों में, थे

अजनबी

सालों की परत चढ़ गयी है,
जिन लम्हों में, थे तुम शामिल,
वो, यादों के धुएं में लिपट गयी है,
जो बातें होती थी सबसे लज़ीज़,
वो, एक गठरी में सिमट गयी है
असलियत तुम्हारी, अब, एक अजनबी सी हो गयी है |

फ़िक्र करने की आदत तुम्हारी, 
बेगैरत सी हो गयी है
गलतफहमियां सजाने की, 
तुम्हारी हैसियत सी हो गयी है,
तुम्हारा आना, एक ज़िन्दगी था,
तुम्हारा जाना, से, और एक ज़िन्दगी था,
असलियत तुम्हारी, अब, एक अजनबी सी हो गयी है |

©purvarth #poemoftheday #hindipoem #poetry #creativewriting #nonfiction #hindishayri #amazonkindle
अजनबी

सालों की परत चढ़ गयी है,
जिन लम्हों में, थे तुम शामिल,
वो, यादों के धुएं में लिपट गयी है,
जो बातें होती थी सबसे लज़ीज़,
वो, एक गठरी में सिमट गयी है
असलियत तुम्हारी, अब, एक अजनबी सी हो गयी है |

फ़िक्र करने की आदत तुम्हारी, 
बेगैरत सी हो गयी है
गलतफहमियां सजाने की, 
तुम्हारी हैसियत सी हो गयी है,
तुम्हारा आना, एक ज़िन्दगी था,
तुम्हारा जाना, से, और एक ज़िन्दगी था,
असलियत तुम्हारी, अब, एक अजनबी सी हो गयी है |

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