ये अज़ीब सी कशीश कैसी? कफ़स में कैद रूह को तो आदत थी ना गुलामी की.........सूखे पत्तों की सरसराहट ने ऐसा रोमांच भर दिया ज़हेन में ............ वो गुमसुम सा परिंदा ........ अपने अश्कों को छुपा लेता था अकसर..... मगर दम नहीं छोड़ता..... आसमान में खुली हवा में ...उड़ने की चाहत थी .... किसी ने मुद्दतों बाद पिंज़रा खोला है....... हल्के से सहलाया ......पुचकारा......... आहा..........बस यही चाहत थी ना....। फिर क्यों नहीं उड़ जाता है........ पर साथ नहीं देते उसके......वो आकाश को देखता है.... काश............ और फिर पिंज़रे में जा बैठता है........ जानता है ये कफ़स ही उसकी मरणस्थली है।।। अब वो जीना नहीं चाहता....।।। #Raani*Charmi* #love#life#feelings#compromise