"गुमाँ है तुझको कि सूरज है तू, चमकते-चमकते पिघल जाएगा।" "जो खुद को साए से बड़ा समझे, वो सूरज ढलते ही खो जाएगा।" "जो धूप बना फिरता है हर सू, अंधेरों से खुद ही घिर जाएगा।" "जो अपने ही क़दमों को भूल गया, वो मंज़िल पे भी भटक जाएगा।" "हवा के भरोसे जो उड़ा बहुत, वो तूफ़ान में ही बिखर जाएगा।" "आसमान से ऊँचा उड़ने की चाह में, अपनी ही साँसों से जल जाएगा।" "शोहरत की आग में इतना न जल, कि अपना ही घर राख हो जाएगा।" "जो खुद को समंदर समझ बैठा, वो अपनी ही लहरों में डूब जाएगा।" "बुलंदी का नशा चढ़ा जिसको, वो गिरते वक़्त चीख जाएगा।" "जो वक़्त के आगे खड़ा हो गया, वो लम्हों में ही बिखर जाएगा।" "नवनीत" अपनी उड़ान पे नाज़ न कर, हवा बदलेगी तो गिर जाएगा।" ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर