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जो फिर जाएं जुबान से, दिखाएं अपनी औकात। मुंह ना लग

जो फिर जाएं जुबान से,
दिखाएं अपनी औकात।
मुंह ना लगेंगे नाही लगाएंगे,
ना बुलायेंगे नाही करेंगे बात।

लुट ख़ज़ाना भरी  तिजोरी।
विदेश भेजा चोरी चोरी।

जनता है परेशान,
हो रही लुटपाट से।
लोकतंत्र बिमार हुआ,
मान हार‌ खाट से।

राजनीतिक लुटेरों पे ना,
सिंकजा कसा जा रहा है।
हर कोई अपनी डफ़ली बजा अपना राग गा रहा है।

निजीकरण किया जा  रहा है,
अपनी मन मर्ज़ी से।
जनता परेशान हो गई,
अच्छे दिनों के दर्जी से।

अगर राजनीतिक परिंदे को,
ना कभी सबक सिखाएंगे।
यहां कुछ लुटेरे चाह कर भी,
ना नेक इंसान बन पाएंगे।

©Sarbjit sangrurvi जो फिर जाएं जुबान से,
दिखाएं अपनी औकात।
मुंह ना लगेंगे नाही लगाएंगे,
ना बुलायेंगे नाही करेंगे बात।

लुट ख़ज़ाना भरी  तिजोरी।
विदेश भेजा चोरी चोरी।
जो फिर जाएं जुबान से,
दिखाएं अपनी औकात।
मुंह ना लगेंगे नाही लगाएंगे,
ना बुलायेंगे नाही करेंगे बात।

लुट ख़ज़ाना भरी  तिजोरी।
विदेश भेजा चोरी चोरी।

जनता है परेशान,
हो रही लुटपाट से।
लोकतंत्र बिमार हुआ,
मान हार‌ खाट से।

राजनीतिक लुटेरों पे ना,
सिंकजा कसा जा रहा है।
हर कोई अपनी डफ़ली बजा अपना राग गा रहा है।

निजीकरण किया जा  रहा है,
अपनी मन मर्ज़ी से।
जनता परेशान हो गई,
अच्छे दिनों के दर्जी से।

अगर राजनीतिक परिंदे को,
ना कभी सबक सिखाएंगे।
यहां कुछ लुटेरे चाह कर भी,
ना नेक इंसान बन पाएंगे।

©Sarbjit sangrurvi जो फिर जाएं जुबान से,
दिखाएं अपनी औकात।
मुंह ना लगेंगे नाही लगाएंगे,
ना बुलायेंगे नाही करेंगे बात।

लुट ख़ज़ाना भरी  तिजोरी।
विदेश भेजा चोरी चोरी।