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ज़िन्दगी की रंगत को लूट, बधाई रंगीनियत की दी जाती ह

ज़िन्दगी की रंगत को लूट,
बधाई रंगीनियत की दी जाती है।
और रक़ीबियत में सनी रूह,
हमें रंगभरी निगाहों से चिढ़ाती है।।
मोहब्बत की दर पे प्यासा फ़कीर मर जाता है,
और आख़िरत के वक़्त भी दुआ ए हक़दार पढ़ी जाती है।।
शहर-ए-इश्क़ है ये ,यहाँ रूह अक्सर ठोकरें खाती है,
और लिबाश-ए-फ़रेब के हाथों मोहब्बत अपनी अस्मत लुटा खुशियाँ मनाती है।।

©HAQIM◆E◆ISHQ【sfr◆ak◆aaghhaaj】 #HAWQIM◆E◆ISHQ
ज़िन्दगी की रंगत को लूट,
बधाई रंगीनियत की दी जाती है।
और रक़ीबियत में सनी रूह,
हमें रंगभरी निगाहों से चिढ़ाती है।।
मोहब्बत की दर पे प्यासा फ़कीर मर जाता है,
और आख़िरत के वक़्त भी दुआ ए हक़दार पढ़ी जाती है।।
शहर-ए-इश्क़ है ये ,यहाँ रूह अक्सर ठोकरें खाती है,
और लिबाश-ए-फ़रेब के हाथों मोहब्बत अपनी अस्मत लुटा खुशियाँ मनाती है।।

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