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कितनी आसानी से तुमने कर दिया मेरे हर सपने को चकना

कितनी आसानी से तुमने 
कर दिया मेरे हर सपने को चकनाचूर 
शायद मेरी गलती थी जो 
काँच के टुकड़े को मैंने समझा कोहिनूर 
बदलते मौसम सा है मिजाज़ तेरा 
बेवफ़ाई है तेरी फ़ितरत में भरपूर 
तमन्ना थी मेरी कि साथ रहें हम 
जीवन की ढलती शाम तक 
पर शायद ये नहीं किस्मत को मंजूर 
कैसे चलेगा भँवर में फंसी नाव सा
 ये रिश्ता अपना 
तुम अपनी आदत से परेशान 
हम अपनी जिद से मजबूर

©K.Shikha
  # Badalte Rishte
kshikha5292

K.Shikha

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# Badalte Rishte #Poetry

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