White उड़ान जितनी भी ऊँची हो परिंदे की, आसरा उसे भी दरख़्तों का चाहिए। ख्वाब चाहे छू लें आसमान का किनारा, हकीकत को हमेशा ज़मीन का सहारा चाहिए। हवा में रहना फितरत है परिंदों की, मगर जड़ों से बिछड़ना उसने सबसे बड़ी कीमत दी। जिंदगी के हर सफर में यही है सबक, ऊँचाई हो जितनी, ज़मीं को भूलना मुनासिब नहीं। चले हैं सितारों से आगे निकलने को, पर जमीं से बंधी डोर संभालना जरूरी है। हर परवाज़ की अपनी एक हद होती है, इसलिए जड़ों का एहसास हर पल जरूरी है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर