ज़िन्दगी के पास भी तमाशे बहुत है एक पासा फेंकी है,अभी पासे बहुत है उठ और लड़ कर छीन ले ज़िन्दगी से अपना हक़ वरना सोयी हुई यहाँ पर लाशें बहुत है कितना हसीं है तू,ये लोग ही बताएंगे तुझे देखने वाले जमाने मे शीशे बहुत है लड़ो हर धुँआ से जैसे यही परत हो आखिरी ताज़ी हवा में बची हुई सांसे बहुत है माँ-बाप का साथ हो तो हिम्मत का क्या पूछना वरना दुनिया मे देने को दिलाशे बहुत है ©क्षत्रियंकेश परत!