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खिजां का मौसम तो आना था बहार के बाद उदासी को फिर ब

खिजां का मौसम तो आना था बहार के बाद
उदासी को फिर बनना था चेहरे का नूर खुशी के बाद

अब ना कोई फ़र्क है मुझे खुशी और गम में
गम भी लाज़िम था मुझ पे थोड़े मसर्रत के बाद

हम कौनसे शाद थे पहले भी मगर ऐ जिंदगी
और भी नाशाद बरबाद है तेरे इम्तिहानों के बाद

कुछ तो रहम कर यूं बेदाद यूं बेज़ार ना कर
इस उम्र में मग़्मूम हूं तेरे सितम के बाद

शहर दर शहर घूमा मैं किसी हमनवां की तलाश में
आइना देखा तो उस शख्स ने पूछा तेरा कौन हैं मेरे बाद

©Ravina Joshi
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