धीरे-धीरे राज खुलेंगे ठहरो तो, खुले थे कल कुछ आज खुलेंगे ठहरो तो, चेहरे पर कितने नक़ाब हैं पोशीदा, बारिश में सब रंग धुलेंगे ठहरो तो, सुबह कहे कुछ और शाम तक बदल गए, बेज़ुबान भी सच उगलेंगे ठहरो तो, नफ़रत की खेती करने वालों सुन लो, बेशक़ तेरी साँस फुलेंगे ठहरो तो, डर का क्यों माहौल बनाते हो नाहक, रिश्तों में फिर शहद घुलेंगे ठहरो तो, प्यार पे चाहे लाख लगाओ तुम पहरे, दिलों में अब जज़्बात तुलेंगे ठहरो तो, ज्ञान दीप से अंतर्मन रौशन कर लो, वर्ना दिल में गम उबलेंगे ठहरो तो, मिलजुलकर रहने में है रौनक 'गुंजन', तन्हा इधर से उधर डुलेंगे ठहरो तो, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #ठहरो तो#