जरूरतों की बिसात पर शिकायतों की गोटियां नहीं चलती और यकीन की जमीन पर शतरंज की बिसात नहीं जमती मुस्तैदी से खेल अगर शुरू चौसर के पासों का हो जाए बगैर शह दिए ही मात बेकसूर जज़्बातों की हो जाए खुद पर निगाह नहीं जाती वो औरों को बहुत परखते हैं बगैर फूल पत्तियों वाले सूखे पेड़ हवाओं में शोर करते हैं बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla