अद्भुत शक्ति और असीम प्रेम जो सिखाता है वह लेखनी है।कोई भी उपहार कलम से निकली उपहार से बड़ा नहीं है।यह कई दिलों को जोड़े,और टूटे हुए रिश्तों को मंजिल भी देती।किसी को भी प्यार हो जाता उससे और अगर एक बार हो गया तो जिंदगी भर के लिए।अगर इसे मैं बार बार प्रेम बोल रही हूं तो प्रेम साधना ,प्रार्थना,प्रेरणा सब कुछ होता है। अंतर्मन में जो भावनाओं की लहर उठती, जज़्बात उमड़ पड़ती तो उसे रोकना नहीं बह जाने देना है लेख।
कुछ खुद के अनुभव की बात बोलूंगी एक लेखिका होने के नाते।
- पहले तो एक पाठक होना लेखक बनने का प्रथम चरण होता है।बहत बार भावनाओं को शब्दों का ठिकाना नहीं मिलता तो कभी कभी शब्द सब भावनाओं के बिना व्यर्थ हो जाते है।बहुत पढ़ो शब्द बटोरने के लिए।भावना सबका अलग होते और सैली और भी अलग।पढ़ो सबका लेकिन लिखने के वक्त केवल अपनी दिल की सुनो।लेखक हम नहीं ,वो है।कोई भी लिखावट बुरी नहीं है क्यूं की प्रार्थना ,इबादत अच्छी बुरी नहीं होती।उस भावना के स्रोत को बहने दो।
पहले खुद अपनी लिखावट के एक पाठक बनके उसे बार बार पढ़ो।एक वक्त आएगा जो अपनी ही समीक्षा से और सुंदर सुदृढ़ लगेगा।जबतक हमे खुदको अपना लीखाई पसंद ना आए और पढ़ो उसे अनुभव करो।
- जितनी भी भाषा में लिखना है लेख सकते हो,पर एक भाषा को सुदृढ बनाओ क्यूं की भाषा से भावना ज्यादा प्रभावित होता है।एक दिन ऐसा आएगा हर कोई आपके भावना तक पहुंचने की कोशिश करेंगे।
- सबसे पहले ख़ुद की अनुभव को सुन्दर रूप दो।
दो प्रकार के लेख होते है
एक प्रयोगात्मक और दूसरा भावनात्मक #yqhindi