चुनावी रंग वक्त बदल रहे हैं रूत अपनी देख चुनावी जंग को फिर गांव चले नेता पहन नकाब अब बदलने अपनी रंग को, सर झुकाएंगे, मिन्नते करेंगे ख्वाब दिखाएंगे कई वादे करेंगे, गांव मुहल्ले के हर गलियों में चौक चौराहा हर नुक्कड़ पर दौड़ेगी हर गांव गली में वाहन सड़क पर, भक-भक बत्ती बौल जलाएंगे वादा है सब कर के दिखाएंगे, गली सड़क अस्पताल नाला खोलेंगे हर योजना का ताला , हर बेरोजगार को रोजगार दिलाएंगे बस हमे जितना हर गांव को स्वर्ग बनाएंगे ।। जनता भी है बेचारा भोला भाला किसको उबारे किसको पहनाए माला, आ जाता है उनके बातों में प्रजा दबा देते हैं, बटन उनकी ही जो है उमें बेचने वाला , विजय हो जाते वही जिनका है बोलबाला रह जातें हैं वंचित बेबस जो हो अच्छा सेवक रखवाला, हां हमरा देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र है पर ये कुछ और बात हैं राजा का बेटा ही राजा (नेता का बेटा नेता) बनता है, पर ये प्रजातंत्र हैं ।। ©SK NIGAM #कविता #राजनीति