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फर्क साफ है। ------------- 🌹जहां ईमानदारी और संतो

फर्क साफ है।
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🌹जहां ईमानदारी और संतोष है वहां दिखावा और चकाचौंध तो नहीं है लेकिन रौनक और शकून है।
और जहां माया और बेईमानी है वहां दिखावा और
चकाचौंध तो है लेकिन चैन और रौनक नहीं है,फर्क
साफ है।🌹 जहां सुंदर मति होती है वहां अनेकों प्रकार
की संपत्ति और जहां कुमति होती है वहां विपत्तियां
तांडव करती हैं, फर्फ साफ है।🌹 खुद की अर्जित कमाई
खुशी का कारण जबकि चोरी और लूट की 
कमाई दुख का कारण बनती है,फर्क साफ है।🌹 जिन्दगी
बेवफा महबूबा जैसी है जो खूबसूरत तो लगती है लेकिन कब ठुकरा दे पता नहीं और मौत सच्ची महबूब है आती
साथ में ले जाती साथ में, फर्क साफ है। 🌹जैसा बीज बोना
है वैसा करना भी है,फर्क साफ है।🌹 तन की सुंदरता का
कुछ दिनों बाद जाना तय है लेकिन मन की सुंदरता
का हमेशा बने रहना तय है, फर्क साफ है।🌹

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # फर्क साफ है।