क्युँ चले गये तुम छोटी सी बात दिल से लगा के, कहाँ चले गये तुम कुछ तो कहा होता हमसे, बिना कुछ कहे चले गये तुम ऐसे तन्हा छोङ के अकेले क्युँ चले गये तुम.... रुठने मनाने के मौसम आते पल पल साथ निभाते उन प्यार भरे मौसमोँ को छोङ क्युँ चले गये तुम.... क्या गुनाह किया, क्या खता हुई कुछ तो कहा होता, युँ तन्हाईयोँ मे कैद कर हमको क्युँ चले गये तुम.... जो हुआ उसे भुल जाओ अब लौट आओ बिना तुम्हारे अश्क बहते है हर पल हमारे छोङ हजारोँ गम के आँसु पलकोँ पे हमारी, युँ बिना कुछ कहे क्युँ चले गये तुम..... क्युँ चले गये तुम छोटी सी बात दिल से लगा के, कहाँ चले गये तुम कुछ तो कहा होता हमसे, बिना कुछ कहे चले गये तुम ऐसे तन्हा छोङ के अकेले क्युँ चले गये तुम....