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बे-फ़सील

लिखा पसन्द आये तो follow जरूर करे। लिखा वही जाता है जो महसूस होता है।

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बे-फ़सील

हर किसी के नसीब मे कहाँ शायर सा इश्क ,


 
आसमान मे हजारों तारे होते हैं चाँद नही हर किसी के नसीब मे कहाँ शायर सा इश्क , 
आसमान मे हजारों तारे होते हैं चाँद नही

हर किसी के नसीब मे कहाँ शायर सा इश्क , आसमान मे हजारों तारे होते हैं चाँद नही

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बे-फ़सील

ना सोए आंखें मूंद करके
  ना तारों से की बात,  
कुछ निकले ख्वाब तन्हा होकर 
धिरे धिरे पलकों से फिसलती गई रात...! ना सोए आंखें मूंद करके
  ना तारों से की बात,  
कुछ निकले ख्वाब तन्हा होकर 
धिरे धिरे पलकों से फिसलती गई रात...!

ना सोए आंखें मूंद करके ना तारों से की बात, कुछ निकले ख्वाब तन्हा होकर धिरे धिरे पलकों से फिसलती गई रात...! #poem

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बे-फ़सील

एक हाथ मेरा जमीन सा,
 एक हाथ तेरा आसमाँ,
 थाम लो अगर हाथ मेरा तो एक खुबसुरत जहाँ बन जाए....! एक हाथ मेरा जमीन सा,
 एक हाथ तेरा आसमाँ,
 थाम लो अगर हाथ मेरा तो एक खुबसुरत जहाँ बन जाए....!

रविन्द्र महरानीयाँ

एक हाथ मेरा जमीन सा, एक हाथ तेरा आसमाँ, थाम लो अगर हाथ मेरा तो एक खुबसुरत जहाँ बन जाए....! रविन्द्र महरानीयाँ #poem

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बे-फ़सील

जिन्दगी मे युँ तो हर रिस्ते कि  अपनी एक अलग अहमियत होती है!
लेकिन महोब्बत के रिस्ते कि अहमियत इसलिए बढ जाती है,
 क्योकि कही ना कही किसी ना किसी रुप से
 ये रिस्ता हम खुद बनाते है.... जिन्दगी मे युँ तो हर रिस्ते कि  अपनी एक अलग अहमियत होती है!
 लेकिन महोब्बत के रिस्ते कि अहमियत इसलिए बढ जाती है,
 क्योकि कही ना कही किसी ना किसी रुप से ये रिस्ता हम खुद बनाते है....

रविन्द्र महरानीयाँ

जिन्दगी मे युँ तो हर रिस्ते कि अपनी एक अलग अहमियत होती है! लेकिन महोब्बत के रिस्ते कि अहमियत इसलिए बढ जाती है, क्योकि कही ना कही किसी ना किसी रुप से ये रिस्ता हम खुद बनाते है.... रविन्द्र महरानीयाँ #Quote

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बे-फ़सील

अक्सर सोचता हुँ कि जिन्दगी कि दौङ मेँ 
कुछ पाने के लिए  मैँ अकेला रहुँ 
ताकि मेरी जीत सुनिशिचत रहे।
 लेकिन तब ये भुल जाता हुँ कि 
प्रतिव्दन्दिता ही तो जिन्दगी है। अक्सर सोचता हुँ कि जिन्दगी कि दौङ मेँ कुछ पाने के लिए  मैँ अकेला रहुँ ताकि मेरी जीत सुनिशिचत रहे।
 लेकिन तब ये भुल जाता हुँ कि प्रतिव्दन्दिता ही तो जिन्दगी है। 

रविन्द्र महरानीयाँ

अक्सर सोचता हुँ कि जिन्दगी कि दौङ मेँ कुछ पाने के लिए मैँ अकेला रहुँ ताकि मेरी जीत सुनिशिचत रहे। लेकिन तब ये भुल जाता हुँ कि प्रतिव्दन्दिता ही तो जिन्दगी है। रविन्द्र महरानीयाँ #Quote

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बे-फ़सील

रुक रुक कर दिल चलता है, 
तेरा नाम से दिन पहर पहर ढलता है,
 चिराग सा रोशन है सीने मे दिल मेरा  खुद जलता और  पिछलता है। रुक रुक कर दिल चलता है, तेरा नाम से दिन पहर पहर ढलता है,
 चिराग सा रोशन है सीने मे दिल मेरा  खुद जलता और  पिछलता है।

 रविन्द्र महरानीयाँ Manish Mahrania

रुक रुक कर दिल चलता है, तेरा नाम से दिन पहर पहर ढलता है, चिराग सा रोशन है सीने मे दिल मेरा खुद जलता और पिछलता है। रविन्द्र महरानीयाँ Manish Mahrania #poem

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बे-फ़सील

दुनियाँ कहाँ वाकिफ है मेरे कद से,
 ये तो बस शरीर देखे जाती है,
 मेरा असली कद तो मेरी परछाई बताती है! दुनियाँ कहाँ वाकिफ है मेरे कद से,
 ये तो बस शरीर देखे जाती है,
 मेरा असली कद तो मेरी परछाई बताती है! 

रविन्द्र महरानीयाँ

दुनियाँ कहाँ वाकिफ है मेरे कद से, ये तो बस शरीर देखे जाती है, मेरा असली कद तो मेरी परछाई बताती है! रविन्द्र महरानीयाँ #poem

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बे-फ़सील

हर रोज लिखता हुँ दो लफ्ज तेरे लिए.....
 काश! तुमने भी कभी दो लफ्ज महोब्बत से कह दिए होते, तो मेरे तमाम लफ्ज अपने मुकाम तक पहुँच गए होते, आँखो मेँ आँसुऔ के अकाल पङ गए होते,
 सर से गमोँ के काले बादल छट गये होते,
 हर रात छत देखकर ना गुजरती हम भी चैन से सो गए होते,
 जिन्दगी के हर आलम बदल गए होते,
 काश दो लफ्ज महोब्बत से कह दिए होते...! हर रोज लिखता हुँ दो लफ्ज तेरे लिए.....
 काश! तुमने भी कभी दो लफ्ज महोब्बत से कह दिए होते, तो मेरे तमाम लफ्ज अपने मुकाम तक पहुँच गए होते, आँखो मेँ आँसुऔ के अकाल पङ गए होते,
 सर से गमोँ के काले बादल छट गये होते,
 हर रात छत देखकर ना गुजरती हम भी चैन से सो गए होते,
 जिन्दगी के हर आलम बदल गए होते,
 काश दो लफ्ज महोब्बत से कह दिए होते...! 

रविन्द्र महरानीयाँ Manish Mahrania

हर रोज लिखता हुँ दो लफ्ज तेरे लिए..... काश! तुमने भी कभी दो लफ्ज महोब्बत से कह दिए होते, तो मेरे तमाम लफ्ज अपने मुकाम तक पहुँच गए होते, आँखो मेँ आँसुऔ के अकाल पङ गए होते, सर से गमोँ के काले बादल छट गये होते, हर रात छत देखकर ना गुजरती हम भी चैन से सो गए होते, जिन्दगी के हर आलम बदल गए होते, काश दो लफ्ज महोब्बत से कह दिए होते...! रविन्द्र महरानीयाँ Manish Mahrania #poem

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बे-फ़सील

सुबह से शाम तक सोचता हुँ एक सवाल......
 क्या वो मेरा है?


 अन्त मेँ हर रोज कि तरह एक ही जवाब...
 ना वो कल मेरा था,
 ना वो आज मेरा है,
 पर शायद आने वाले वक्त मे वो मेरा हो....

और फिर  वही सवाल....
 क्या वो मेरा है? सुबह से शाम तक सोचता हुँ एक सवाल......
 क्या वो मेरा है?
.
.
 अन्त मेँ हर रोज कि तरह एक ही जवाब...
 ना वो कल मेरा था,
 ना वो आज मेरा है,
 पर शायद आने वाले वक्त मे वो मेरा हो....

सुबह से शाम तक सोचता हुँ एक सवाल...... क्या वो मेरा है? . . अन्त मेँ हर रोज कि तरह एक ही जवाब... ना वो कल मेरा था, ना वो आज मेरा है, पर शायद आने वाले वक्त मे वो मेरा हो.... #poem

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बे-फ़सील

You क्या मोड आया है महोब्बत की कहानी मेँ, 
खामोशी हार रही लफ्जो की कहानी मेँ,
महोब्बत जरीया बनी दो जिस्मो कि जवानी मेँ,
 दिल तोङे ऐसे जाते है कोई भुल हुई हो नादानी मे,
 पागल है लोग ढुँढते है महोब्बत धडकनो कि रवानी मे,
  सच्ची महोब्बत मिलेगी बस किसी शायर कि कहानी मे.... क्या मोड आया है महोब्बत की कहानी मेँ, 
खामोशी हार रही लफ्जो की कहानी मेँ,
महोब्बत जरीया बनी दो जिस्मो कि जवानी मेँ,
 दिल तोङे ऐसे जाते है कोई भुल हुई हो नादानी मे,
 पागल है लोग ढुँढते है महोब्बत धडकनो कि रवानी मे,
  सच्ची महोब्बत मिलेगी बस किसी शायर कि कहानी मे....

रविन्द्र महरानीयाँ

क्या मोड आया है महोब्बत की कहानी मेँ, खामोशी हार रही लफ्जो की कहानी मेँ, महोब्बत जरीया बनी दो जिस्मो कि जवानी मेँ, दिल तोङे ऐसे जाते है कोई भुल हुई हो नादानी मे, पागल है लोग ढुँढते है महोब्बत धडकनो कि रवानी मे, सच्ची महोब्बत मिलेगी बस किसी शायर कि कहानी मे.... रविन्द्र महरानीयाँ #poem

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