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#कोई रुखसार से पर्दे को हटा देना मेरे चांद को आज

#कोई रुखसार से पर्दे को हटा देना 
मेरे चांद को आज जमी पर ला देना 
मुमकिन हो तो तुम अमावस की रात 
बन कर आ जाना 
मेरे मेहबूब के दर्शन तुम करवा देना 
कही छुप कर बैठा है दूर गगन में 
बदलो में घिरा हुआ हैं बावरा बन कर 
कोई मेरी बात को  मेरे चांद तक पहुंचा देना
आज रुखसार से आसमान का पर्दा हटा देना 
मेरे चांद को आज जमी पर ला देना  !

कुलदीप सिंह रुहेला

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #कोई रुखसार से पर्दे को हटा देना 
मेरे चांद को आज जमी पर ला देना 
मुमकिन हो तो तुम अमावस की रात 
बन कर आ जाना 
मेरे मेहबूब के दर्शन तुम करवा देना 
कही छुप कर बैठा है दूर गगन में 
बदलो में घिरा हुआ हैं बावरा बन कर 
कोई मेरी बात को  मेरे चांद तक पहुंचा देना

#कोई रुखसार से पर्दे को हटा देना मेरे चांद को आज जमी पर ला देना मुमकिन हो तो तुम अमावस की रात बन कर आ जाना मेरे मेहबूब के दर्शन तुम करवा देना कही छुप कर बैठा है दूर गगन में बदलो में घिरा हुआ हैं बावरा बन कर कोई मेरी बात को मेरे चांद तक पहुंचा देना #ValentineDay

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