नफ़रत,हिंसा को किसने भड़काया है आधुनिकता के दौर में आतंकवाद छाया है गंदगी भर देते हैं युवाओं के मन में ज़िंदगी भर के घाव देते हैं दामन में देश,समाज,परिवार का बन जाता है वैरी निज स्वार्थों की आपूर्ति हेतु बन जाता अत्याचारी घर गाँव देश तक कर दिए हैं वीरान चीख-पुकार सुनाई देती चारों ओर बना श्मशान कितने मासूमों को मार डाला है नेक कार्य है यह उन्होंने कैसा भ्रम पाला है कुछ ऐसा क़दम उठाना है आतंकवाद को भगाना है पाँव पसार रहा है आतंकवाद हम सब मिलकर तोड़े इसकी बुनियाद। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ ✴️ आतंकवाद विरोध दिवस ✴️ 27 वाँ दिन