हम दुनिया की निगाहों से इस क़दर डरते रहे आईने मैले थे और हम चेहरा साफ़ करते रहे उसके बज़्म में दुनिया दीवानी ऐसी थी एक हम भी उसकी हर अदा पर मरते रहे वो देते गंगा नहाने की सीख दुनिया को और छुप छुपा के पाप का घड़ा भरते रहे दुनिया से लड़कर लाया तक़दीर हाथों में मगर याद में उसकी लम्हा लम्हा बिखरते रहे ! हम दुनिया की निगाहों से इस क़दर डरते रहे आईने मैले थे और हम चेहरा साफ़ करते रहे उसके बज़्म में दुनिया दीवानी ऐसी थी एक हम भी उसकी हर अदा पर मरते रहे वो देते गंगा नहाने की सीख दुनिया को और छुप छुपा के पाप का घड़ा भरते रहे