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खुशी कहाँ नववर्ष की , कहां हमारा पर्व । जग की झूठ

खुशी कहाँ नववर्ष की , कहां हमारा पर्व ।
जग की  झूठी रीत पर  , कैसे कर लें गर्व ।। १

मेरा नूतन  वर्ष तो , चैत्र  मास  की  ओर ।
अन्न धन्न से घर भरे , खुशियाँ हो पुरजोर ।। २

सभी  बधाई  दे  रहें , आया  है  नववर्ष ।
गाकर  मंगलगीत हम , चलो मनाएँ हर्ष ।। ३

झूमें  धरती  ये  गगन ,  आ  गई  ऋतु  वसंत ।
चैत्र मास की पक्ष ये , खुशियां देय  अनंत ।। ४

रहे   सनातन  धर्म  का , पर्व  तुम्हें  भी  याद ।
धर्म कर्म से ही मिलें  , खुशियों का आस्वाद ।। ५

आज प्रखर की तुम सुनो , अस्त न जाओ भूल ।
पर स्मृति में हो जब उदय , खिलता सुंदर फूल ।। ६

                   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR खुशी कहाँ नववर्ष की , कहां हमारा पर्व ।
जग की  झूठी रीत पर  , कैसे कर लें गर्व ।। १

मेरा नूतन  वर्ष तो , चैत्र  मास  की  ओर ।
अन्न धन्न से घर भरे , खुशियाँ हो पुरजोर ।। २

सभी  बधाई  दे  रहें , आया  है  नववर्ष ।
गाकर  मंगलगीत हम , चलो मनाएँ हर्ष ।। ३
खुशी कहाँ नववर्ष की , कहां हमारा पर्व ।
जग की  झूठी रीत पर  , कैसे कर लें गर्व ।। १

मेरा नूतन  वर्ष तो , चैत्र  मास  की  ओर ।
अन्न धन्न से घर भरे , खुशियाँ हो पुरजोर ।। २

सभी  बधाई  दे  रहें , आया  है  नववर्ष ।
गाकर  मंगलगीत हम , चलो मनाएँ हर्ष ।। ३

झूमें  धरती  ये  गगन ,  आ  गई  ऋतु  वसंत ।
चैत्र मास की पक्ष ये , खुशियां देय  अनंत ।। ४

रहे   सनातन  धर्म  का , पर्व  तुम्हें  भी  याद ।
धर्म कर्म से ही मिलें  , खुशियों का आस्वाद ।। ५

आज प्रखर की तुम सुनो , अस्त न जाओ भूल ।
पर स्मृति में हो जब उदय , खिलता सुंदर फूल ।। ६

                   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR खुशी कहाँ नववर्ष की , कहां हमारा पर्व ।
जग की  झूठी रीत पर  , कैसे कर लें गर्व ।। १

मेरा नूतन  वर्ष तो , चैत्र  मास  की  ओर ।
अन्न धन्न से घर भरे , खुशियाँ हो पुरजोर ।। २

सभी  बधाई  दे  रहें , आया  है  नववर्ष ।
गाकर  मंगलगीत हम , चलो मनाएँ हर्ष ।। ३

खुशी कहाँ नववर्ष की , कहां हमारा पर्व । जग की झूठी रीत पर , कैसे कर लें गर्व ।। १ मेरा नूतन वर्ष तो , चैत्र मास की ओर । अन्न धन्न से घर भरे , खुशियाँ हो पुरजोर ।। २ सभी बधाई दे रहें , आया है नववर्ष । गाकर मंगलगीत हम , चलो मनाएँ हर्ष ।। ३ #कविता #HappyNewYear