ए.. चाँद अपनी सुंदरता पर तू इतना क्यूंँ इतराता है। मेरी चाँद तो तुम से भी सुंदर है।। फर्क बस इतना है कि तू हमारे सपनों के साथ आसमान में रहता है, और मेरी चाँद अपनों के साथ इसी जहान में रहती है। By:-A.S Meri chand