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अदरक का स्वाद मोटू मल जी पहन धोती, कुर्ता और लगा

 अदरक का स्वाद
मोटू मल जी पहन धोती, कुर्ता और लगा आंखों पर चश्मा।
हाथ में लेकर छड़ी, निकले ठाट से करने बाजार की सैर।

जेब में थे थोड़े से पैसे, पर समझ रहे थे खुद को धन्ना सेठ।
मन ही मन कुछ खाने की सोच कर जीभ ललचा रही थी।

सोचा हलवाई से जलेबी लूंगा, तो खाकर मोटा हो जाऊंगा।
चलो हरी सब्जियां खाकर ही, अपनी सेहत अच्छी बनाऊंगा।

गर्म जलेबी देख कर उनका मन था बहुत ही अधिक ललचाया।
फिर मोटू मल जी को बाबा रामदेव का योग, प्रवचन याद आया।

जलेबी खाने का विचार त्याग कर, सब्जी लेने को कदम बढ़ाया।
देखकर ताजी हरी- हरी लाल सब्जियां, मन तरोताजा हो आया।

सब्जी वाले से बोले भैया थोड़ा- थोड़ा झोले में सब कुछ दे दो।
टमाटर, खीरा, मूली व गाजर आदि लेकर आए प्रेम से खाया।

अदरक भी थी उसमें रखी, पर क्या है उनको समझ ना आया।
थोड़ी सी खाई तो बड़ा ही मजा आया, एक बार में पूरी खा ली।

मोटू मल को मिला अदरक का स्वाद कूदम कूद मचाई,चिल्लाये।
पानी ढूंढा पानी ना मिला, मीठी जलेबी की याद ने बड़ा सताया।

धोती, लंगोटी छोड़ भागकर गये जलेबी लेने जलेबी थी खत्म हो गई।
बेचारे मोटू मल जी ने दोबारा कभी, अदरक ना खाने का कसम खाई।

-"Ek Soch"


 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 27

🎀 शीर्षक:- ""हास्य कविता""

🎀 शब्द सीमा नहीं है।

🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।
 अदरक का स्वाद
मोटू मल जी पहन धोती, कुर्ता और लगा आंखों पर चश्मा।
हाथ में लेकर छड़ी, निकले ठाट से करने बाजार की सैर।

जेब में थे थोड़े से पैसे, पर समझ रहे थे खुद को धन्ना सेठ।
मन ही मन कुछ खाने की सोच कर जीभ ललचा रही थी।

सोचा हलवाई से जलेबी लूंगा, तो खाकर मोटा हो जाऊंगा।
चलो हरी सब्जियां खाकर ही, अपनी सेहत अच्छी बनाऊंगा।

गर्म जलेबी देख कर उनका मन था बहुत ही अधिक ललचाया।
फिर मोटू मल जी को बाबा रामदेव का योग, प्रवचन याद आया।

जलेबी खाने का विचार त्याग कर, सब्जी लेने को कदम बढ़ाया।
देखकर ताजी हरी- हरी लाल सब्जियां, मन तरोताजा हो आया।

सब्जी वाले से बोले भैया थोड़ा- थोड़ा झोले में सब कुछ दे दो।
टमाटर, खीरा, मूली व गाजर आदि लेकर आए प्रेम से खाया।

अदरक भी थी उसमें रखी, पर क्या है उनको समझ ना आया।
थोड़ी सी खाई तो बड़ा ही मजा आया, एक बार में पूरी खा ली।

मोटू मल को मिला अदरक का स्वाद कूदम कूद मचाई,चिल्लाये।
पानी ढूंढा पानी ना मिला, मीठी जलेबी की याद ने बड़ा सताया।

धोती, लंगोटी छोड़ भागकर गये जलेबी लेने जलेबी थी खत्म हो गई।
बेचारे मोटू मल जी ने दोबारा कभी, अदरक ना खाने का कसम खाई।

-"Ek Soch"


 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 27

🎀 शीर्षक:- ""हास्य कविता""

🎀 शब्द सीमा नहीं है।

🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।

🎀 प्रतियोगिता संख्या- 27 🎀 शीर्षक:- ""हास्य कविता"" 🎀 शब्द सीमा नहीं है। 🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है। #YourQuoteAndMine #काव्य_मेला #काव्यमेला_प्रतियोगिता #हँसाओ_तो_माने