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एक से एक.वीर. हुए , घरती पर हिदुँस्तान की चट्टानें

एक से एक.वीर. हुए , घरती पर हिदुँस्तान की
चट्टानें भी रोक सकी ना , घार जिनकी तलवार की
समय बदलने की ताकत , जिनके हाथों म थी
राष्ट्र प्रेम की भक्ति भावना , जिनकी साँसों मे थी
फिर ये द्रुभाग्य कैसा , इस घरती के माथे का
घोर अँघेरो मे डुब गयीं गाथाएं वीरो की
सदियो तक गैरो ने लुटा , इस पावनतिँत भुमी को
इतिहास कलँकित कर छोड़ दिया महान घरा की माटी का
ना सम्मुख आकर हिम्मत थी जो इस घरती के वीरो की छाती काट सके
अरे 17 बार जीवन दान दिए गौरी को, 
नाम शब्द पृथ्वी अमर हुआ , सवृण आखर मे लिखा जाए
और जिसने की गददारी निज घरती माँ से
ए जयचंद तुझपर आज भी थुका जाए
जिसने त्याग दिया जीवन अपनी माँ की रक्षा मे
शब्द भेद के ज्ञाता , पृथ्वीराज जैसे वीर महान
सदियों मे एक बार ही जन्मे जाए
13 वर्ष अल्प आयु , अजमेर की गद्दी पर वीराज हुआ
धन्य हुआ इतिहास उस दिन , नाम दर्ज जिस दिन पृथ्वीराज चौहान हुआ
गौरी की औकात थी क्या , जो जीत पाता उससे बिन छल से लडकर
जिसने सिर्फ 11 वर्ष कि आयु मे , 
बिन कोई हथियार के शेर का मुख था फाड दिया
जिस उम्र मे बालक खेले कुदे , उस उम्र वो सम्राट कहलाए
लिखु मे क्या उनके बारे , 
उनके महान वयक्तित्व के आगे हर शब्द खडे शीश झुकाए
शब्द भेद के ज्ञाता , पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर महान
सदियों मे एक बार ही जन्मे जाए
गौरी तो पहले गया , बाद वीरगत   हुए चौहान
दुषमन के ना हाथ मरे, खुद ही दिए तयाग पराण 
बिन आखँ भेद दिए गौरी को , कैद कर के भी तोड ना सका अभिमान
कण कण.इस घरती का गाथाएं वीरो की  गाए
सुन सुन इतिहास इस.घरा का , अदँर एक आग.घघक घघक जाए
गैरो मे ना साहस था , अपनो ने ही पीछे से वार किया
भुगत रही ये घरा जो जयचंद की गददारी से
अब  पृथ्वीराज  कहा से आए #Bharatan maharaj Prithviraj chauhan ji ki janam diwas par
एक से एक.वीर. हुए , घरती पर हिदुँस्तान की
चट्टानें भी रोक सकी ना , घार जिनकी तलवार की
समय बदलने की ताकत , जिनके हाथों म थी
राष्ट्र प्रेम की भक्ति भावना , जिनकी साँसों मे थी
फिर ये द्रुभाग्य कैसा , इस घरती के माथे का
घोर अँघेरो मे डुब गयीं गाथाएं वीरो की
सदियो तक गैरो ने लुटा , इस पावनतिँत भुमी को
इतिहास कलँकित कर छोड़ दिया महान घरा की माटी का
ना सम्मुख आकर हिम्मत थी जो इस घरती के वीरो की छाती काट सके
अरे 17 बार जीवन दान दिए गौरी को, 
नाम शब्द पृथ्वी अमर हुआ , सवृण आखर मे लिखा जाए
और जिसने की गददारी निज घरती माँ से
ए जयचंद तुझपर आज भी थुका जाए
जिसने त्याग दिया जीवन अपनी माँ की रक्षा मे
शब्द भेद के ज्ञाता , पृथ्वीराज जैसे वीर महान
सदियों मे एक बार ही जन्मे जाए
13 वर्ष अल्प आयु , अजमेर की गद्दी पर वीराज हुआ
धन्य हुआ इतिहास उस दिन , नाम दर्ज जिस दिन पृथ्वीराज चौहान हुआ
गौरी की औकात थी क्या , जो जीत पाता उससे बिन छल से लडकर
जिसने सिर्फ 11 वर्ष कि आयु मे , 
बिन कोई हथियार के शेर का मुख था फाड दिया
जिस उम्र मे बालक खेले कुदे , उस उम्र वो सम्राट कहलाए
लिखु मे क्या उनके बारे , 
उनके महान वयक्तित्व के आगे हर शब्द खडे शीश झुकाए
शब्द भेद के ज्ञाता , पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर महान
सदियों मे एक बार ही जन्मे जाए
गौरी तो पहले गया , बाद वीरगत   हुए चौहान
दुषमन के ना हाथ मरे, खुद ही दिए तयाग पराण 
बिन आखँ भेद दिए गौरी को , कैद कर के भी तोड ना सका अभिमान
कण कण.इस घरती का गाथाएं वीरो की  गाए
सुन सुन इतिहास इस.घरा का , अदँर एक आग.घघक घघक जाए
गैरो मे ना साहस था , अपनो ने ही पीछे से वार किया
भुगत रही ये घरा जो जयचंद की गददारी से
अब  पृथ्वीराज  कहा से आए #Bharatan maharaj Prithviraj chauhan ji ki janam diwas par