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जाग जाओ ओ! सुनहरे तारको सोना मना है, सूर्य उगने तक

जाग जाओ ओ! सुनहरे तारको सोना मना है,
सूर्य उगने तक तुम्हें संसार हित जगना पड़ेगा

यतीश अकिञ्चन काव्य-पीयूष
जाग जाओ ओ! सुनहरे तारको सोना मना है,
सूर्य उगने तक तुम्हें संसार हित जगना पड़ेगा

यतीश अकिञ्चन काव्य-पीयूष