यहाँ-वहाँ न जाने कहाँ-कहाँ सुकून ढूंढता है दिल चलते चलते थक गए एक ठिकाना ढूंढता है दिल।। बहलाना फुसलाना गिड़गिड़ाना प्रेम जताना सब कर के देख लिया,अब इंसान जिंदा ढूंढता है दिल।। मखमली सुगन्धित ठण्डी बयार का झोंका आकर ले साथ प्राण गया, जीने को स्वास ढूंढता है दिल।। बंजर जमी में खिलखिला रहे फूलों से कभी नजर हटे,आलमारी में छुपी तस्वीरों में रब ढूंढता है दिल।। आश्वासन वचन हजार कर नही रुकता जब कोई नयन धारा स्वतंत्र कर देने को मार्ग ढूंढता है दिल।। ©Dhanesh Dwivedi ढूंढता है दिल #safar