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अफ़साना अफ़साना अपनी मोहब्बत का आज सुनाता हूँ, में

अफ़साना अफ़साना अपनी मोहब्बत का आज सुनाता हूँ,
में तेरी मेरी दास्ताँ -ए- इश्क़ सुनाता हूँ।
देखा था जब तुम्हें पहली मरतबा
में उस सुनहरी सुबह की बात बताता हूँ।
एक पल में ही तुमसे एक रिश्ता बन गया था,
ना जाने क्या था तेरी बातों में,
कि मुझे एक अपनापन सा लगने लगा था।
तेरी आँखो में मुझे अपने ख्वाब दिखने लगे थे,
मुझे उसमें अपना एक छोटा सा जहां दिखने लगा था।
तेरे जाते ही तेरे आने की आस में ये दिल था,
मुझे इल्म होने लगा था,
कि मेरे दिल में तेरी मोहब्बत 
का दिया जलने लगा था।। #तेरीमेरीप्रेमकहानी
अफ़साना अफ़साना अपनी मोहब्बत का आज सुनाता हूँ,
में तेरी मेरी दास्ताँ -ए- इश्क़ सुनाता हूँ।
देखा था जब तुम्हें पहली मरतबा
में उस सुनहरी सुबह की बात बताता हूँ।
एक पल में ही तुमसे एक रिश्ता बन गया था,
ना जाने क्या था तेरी बातों में,
कि मुझे एक अपनापन सा लगने लगा था।
तेरी आँखो में मुझे अपने ख्वाब दिखने लगे थे,
मुझे उसमें अपना एक छोटा सा जहां दिखने लगा था।
तेरे जाते ही तेरे आने की आस में ये दिल था,
मुझे इल्म होने लगा था,
कि मेरे दिल में तेरी मोहब्बत 
का दिया जलने लगा था।। #तेरीमेरीप्रेमकहानी