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ख्यालों मे बार- बार उस वक़्त का ज़िक्र आता हैं     

ख्यालों मे बार- बार उस वक़्त का ज़िक्र आता हैं 
                जब
बाबा के मनीआर्डर का इन्तज़ार करती 
दरवाज़े पे खड़ी उस लड़की का 
चेहरा याद आता हैं 
साईकिल की घंटी हर बार 
उसके चेहरे पे 
एक लम्बी मुस्कान लाती थी
ना फिकर थी उसे पैसों की 
वो तो बस उस मनीऑर्डर पे लिक्खे शब्दों पर 
जी जाया करती थी
ना जाने ऐसे कितने शब्दों के लिखे मनीऑर्डर को 
उसने सम्भाला आज तक 
अपने कुछ सालों का बही-खाता तैयार कर
अपने सीने से लगाये रक्खा आज तक
ना जाने किसने मेरी उस सूटकेस को
चुराया था उस वक़्त
जिस प्यार को सजाये... सम्भाले रक्खा था मैनें अब तक
बाबा का लिखे शब्द 
कोई लिखावट नहीं थे मेरे लिये 
वो तो जैसे मेरी शरीर मे बसे प्राण थे
जो हर बार मेरे हारने पर 
मुझे हौसला देने के ख़ातिर जो
हर पल मेरे साथ निस्वार्थ भाव से खड़े थे

©# musical life ( srivastava )
  #FriendshipDay 💗बही-खाता 💗 Neel

#FriendshipDay 💗बही-खाता 💗 @Neel #ज़िन्दगी

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