चरण पखार हर्षित मन होई केवट.. भ्राता लक्ष्मण सिया सहित प्रभू नाव बैठाए
पार तेहि नदी कराएं केवट जोरी हाथ प्रभू चरण शीश नवाए..
उतराई लिन्ह से करी इन्कार बोले प्रभू सिर्फ है आशीष कय दरकार...
बोलो.. प्रभू श्री राम की जय.. जय जय श्री राम...जय सियाराम..
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