#WorldTheatreDay जिंदगी रंगमंच की कठपुतलियां ही तो है यहाँ हर एक इंसान अपने क़िरदार में गुथा हुआ है पर ग़लत कहते है वो लोग जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथों में है अरे पैदा हमें हमारे माता-पिता ने किया, पाल पोस कर अपने कदमों पर खड़े होने लायक बनाया औऱ सम्पूर्ण जीवन काल हम पेट की भूख मिटाने के लिए ना जाने किन हालातों से गुजरे, कभी मटर-पनीर से पेट की भूख सांत किये, कभी सूखी रोटी आचार से काम चलाया बूढ़े होने पर हमारी औलाद ने हमे सहारा दिया औऱ अंतिम साँस पर उन्ही ने कंधा, अब इस पूरे रंगमंच में उस ऊपर वाले का क्या क़िरदार रहा, पता नही ख़ुदा है या नही, पर इतना जरूर पता है इंसान का उस ख़ुदा में कोई श्रद्धा या आस्था नही है एक उम्मीद है वो भी आख़िरी उम्मीद, इंसान अपने हर सुख-दुःख में उस ख़ुदा को याद करता है जिसका हमारे पूरे जीवनकाल में कोई रोल काल नही होता, मनुष्य एक गिरगिट के समान है वो कब अपना रंग बदल लें ख़ुद ख़ुदा भी इससे वाकिफ़ नही, अपने ख़ुशी में उसका सुक्रगुजार मानता है तो कभी अपने दुःख में उसे कोसता है ख़ुदा तो ख़ुद हमें अपने हालात में छोड़ देता है कि जाओ इस इंसानी जीवन के रंगमंच में कठपुतलियों का किरदार निभाओ जिसकी डोर ख़ुद तुम्हारे हाथों में है। #World_Theatre_Day #quote #tranding #nojoto #nojotohindi #nojotoenglish #nojotonews #nojotowritingclub #nojotooriginal #nojotodebate